फाइलेरिया मरीज की पहचान के लिए 28 जून से 06 जुलाई तक जिले के सभी प्रखंडों में चलाया जाएगा नाईट ब्लड सर्वे

सभी प्रखंड के दो चिन्हित क्षेत्रों में रात 08 बजे से 12 बजे तक लगाया जाएगा जांच कैम्प

-20 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की होगी जांच

-कुछ बूंद खून से पता चलेगा संबंधित व्यक्ति के अंदर माइक्रो फाइलेरिया है की नहीं

-माइक्रो फाइलेरिया की पहचान के लिए सभी प्रखंड लैब टेक्नीशियन को दिया गया एक दिवसीय प्रशिक्षण

-फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में 10 अगस्त से चलाया जाएगा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम

 

पूर्णिया (ब्रजभूषण कुमार) :_ फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्रखंडों एवं चार शहरी क्षेत्र में शामिल माता स्थान, माधोपाड़ा, पूर्णिया सिटी और गुलाबबाग में 28 जून से 06 जुलाई तक नाईट ब्लड सर्वे कार्यक्रम चलाया जाएगा। इस दौरान सभी प्रखंडों के चिन्हित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा रात 08 बजे से 12 बजे तक जांच कैम्प लगाकर 20 वर्ष से अधिक उम्र के सामान्य लोगों की कुछ बूंद ब्लड सेम्पल इकट्ठा किया जाएगा। प्रखंड में ब्लड सेम्पल की माइक्रोस्कोप से जांच करते हुए संबंधित व्यक्ति में माइक्रो फाइलेरिया होने की पहचान की जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी प्रखंड के लैब टेक्नीशियन के साथ राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच) के पैरामेडिकल भवन में एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस दौरान सभी लैब टेक्नीशियन को नाईट ब्लड सर्वे के दौरान लोगों के ब्लड सेम्पल लेते हुए उसमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया के पहचान की जानकारी दी गई। इस दौरान एसीएमओ सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल, भीबीडीओ रवि नंदन सिंह, डीबीबीडी सोनिया मंडल, डब्लूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार, पिरामल स्वास्थ्य जिला लीड चंदन कुमार, भेक्टर जनित रोग नियंत्रण लिपिक रामकृष्ण परमहंस, पीसीआई डीएमसी विपिन कुमार, सीफार असिस्टेंट जिला समन्यवक अमन कुमार सहित सभी प्रखंड के लैब टेक्नीशियन उपस्थित रहे।

 

सभी प्रखंड के दो चिन्हित क्षेत्रों में रात 08 बजे से 12 बजे तक लगाया जाएगा जांच कैम्प :

 

एसीएमओ सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि फाइलेरिया के संभावित मरीजों की पहचान के लिए जिले के सभी प्रखंडों के दो चिन्हित क्षेत्रों में 28 जून से 06 जुलाई तक नाईट ब्लड सर्वे का आयोजन किया जाएगा। दो चिन्हित क्षेत्रों में एक सेंटिनल क्षेत्र होगा जहां पहले से ही फाइलेरिया के मरीज उपलब्ध हैं जबकि दूसरा रेंडम क्षेत्र होगा जहां फाइलेरिया ग्रसित मरीज होने की संभावना है। सभी क्षेत्रों से कम से कम 300 लोगों के ब्लड सेम्पल इकट्ठा किये जायेंगे। सभी ब्लड सेम्पल की प्रखंड अस्पताल में जांच करते हुए लोगों के शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया की पहचान की जाएगी। माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होने पर संबंधित व्यक्ति को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि सामान्य व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान रात में ही हो सकता है क्योंकि रात में शरीर आराम की अवस्था में रहता है। ऐसे समय में ही माइक्रो फाइलेरिया खून में एक्टिव अवस्था में रहते हैं। इस समय जांच करने से उनमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है जिसे मेडिकल सहायता प्रदान करते हुए सुरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को डब्लूएचओ के साथ पिरामल फाउंडेशन स्वास्थ्य, पीसीआई और सीफार द्वारा आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराई जा रही है।

 

कुछ बूंद खून से पता चलेगा संबंधित व्यक्ति के अंदर माइक्रो फाइलेरिया है की नहीं :

 

डब्लूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार ने सभी लैब टेक्नीशियन को बताया कि नाईट ब्लड सर्वे के दौरान माइक्रो फाइलेरिया की पहचान के लिए किस तरह से सामान्य लोगों का कुछ बूंद ब्लड सेम्पल स्लाइड में लिया जाता है। सही तरीके से ब्लड सेम्पल लेने के बाद स्लाइड को 24 घंटे के अंदर डी हेमोग्लोबनाइज करना है। उसके बाद ब्लड सेम्पल स्लाइड को धूप में सुखाने के बाद माइक्रोस्कोप में जांच करते हुए माइक्रो फाइलेरिया की पहचान की जाती है। धूप में सुखाने के बाद ब्लड सेम्पल स्लाइड को जीसबी-1 लिक्विड में एक बार डुबाया जाता है। उसके 40-60 सेकेंड के अंदर माइक्रोस्कोप से जांचने पर संबंधित ब्लड सैंपल में ब्लू रंग के माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु की पहचान हो जाती है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में ही माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होने पर संबंधित व्यक्ति को तत्काल मेडिकल चिकित्सा उपलब्ध कराते हुए फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित किया जा सकता है।

 

नाईट ब्लड सर्वे के लिए बनाई गई है चार सदस्यीय टीम :

 

भीबीडीओ रवि नंदन सिंह ने बताया कि नाईट ब्लड सर्वे के लिए सभी प्रखंडों में चार सदस्यीय टीम बनाई गई है जिसमें बीसीएम, लैब टेक्नीशियन, फाइलेरिया कर्मी या एनभीबीडीएस कर्मी एवं स्थानीय आशा कर्मी उपस्थित रहेंगे। इसके साथ साथ सभी क्षेत्रों के स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी पूर्व में ही इसकी जानकारी उपलब्ध कराई गई है जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ब्लड सैंपल देने के लिए जागरूक किया जा सके। जिला स्तर पर भी टीम बनाया गया है जिसके द्वारा क्षेत्र का भ्रमण कर नाईट ब्लड सर्वे का निरक्षण किया जाएगा। नाईट ब्लड सर्वे में उपलब्ध रिपोर्ट के आधार पर सम्बंधित प्रखंड में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा।

 

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में 10 अगस्त से चलाया जाएगा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम :

 

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि फाइलेरिया के कीटाणु की पहचान संबंधित लोगों को पांच से दस साल बाद पता चलता है। फाइलेरिया के कीटाणु शरीर में उपलब्ध होने पर ग्रसित व्यक्ति के हाथ-पैर में सूजन, पुरुषों के अंडकोष (हाइड्रोसील) व महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन होने लगती है जो धीरे धीरे बढ़ने लगती है। इसकी पहचान होने पर उसे नियंत्रित किया जा सकता है सम्पूर्ण इलाज नहीं हो सकता है। इसकी शुरुआत में ही पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नाईट ब्लड सर्वे चलाया जाता है। नाईट ब्लड सर्वे में एक प्रतिशत से अधिक माइक्रो फाइलेरिया की पुष्टि होने पर संबंधित प्रखंड में 10 अगस्त से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाएगा। उस दौरान आशा कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर सभी सामान्य लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए डीईसी व एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। लगातार पांच साल तक साल में एक बार यह दवाई का सेवन करने से संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित हो सकते हैं।

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